Trending Now
#कश, कशिश और कश्मकश का शायर : रघुपति सहाय ‘फ़िराक’
#सियासत और सिनेमा के ध्यान से गायब ‘ध्यानचंद’
#स्त्री के धन्यवाद का पर्व – होली
#कोरोना : महामारी पर तय हो विश्व बिरादरी की जिम्मेदारी
#रक्षाबंधन : दर्पण में परंपराओं के प्रतिबिंब दिखाता पर्व
#ये वनवास बहुत लंबा था
#ये आज़ादी…कोरोना के साथ भी, कोरोना के बाद भी
#दिलों का अज़ीज़, लहजे का लज़ीज़ और वक़्त का जदीद शायर : राहुल अवस्थी
#… सुमिरो पवन कुमार
#चौथा खंभा : संपादकीय ‘शीर्षासन’
Archive for August, 2019
- 296 Views
- अभिनव 'अभिन्न'
- August 29, 2019
सियासत और सिनेमा के ध्यान से गायब ‘ध्यानचंद’
1936 का बर्लिन ओलंपिक, हाॅकी के मैच का हाॅफ टाइम हो चुका था और भारतीय दल महज एक गोल उस समय की सबसे मजबूत और मेजबान टीम जर्मनी पर दाग पाया था।अभ्यास मैच में जर्मनी
- 482 Views
- अभिनव 'अभिन्न'
- August 28, 2019
कश, कशिश और कश्मकश का शायर : रघुपति सहाय ‘फ़िराक’
ये माना ज़िंदगी है चार दिन कीबहुत होते हैं लेकिन चार दिन भी इस शेर में क्या नहीं है, तजुर्बा, हौसला, ताकीद, तंज, सब कुछ। और ये सब कुछ जिसके शेरों में सिमटा हो, उस