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Archive for September, 2020
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- अभिनव 'अभिन्न'
- September 9, 2020
दिलों का अज़ीज़, लहजे का लज़ीज़ और वक़्त का जदीद शायर : राहुल अवस्थी
एक दरख़्त था – ऊंचा-पूरा, हरा-भरा, ख़ूब छतनार, बहुत विस्तार लिए। थके-मांदे मजदूर, मुसाफ़िर आते-जाते उसके नीचे छांव पाते, तो सुस्ताने बैठ जाते। समय का सूरज चढ़ता जा रहा था और दरख़्त का व्याप बढ़ता