Posts by: अभिनव 'अभिन्न'
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- अभिनव 'अभिन्न'
- September 29, 2023
हमारी संस्कृति प्रश्न करने की, प्रश्नचिह्न खड़ा करने की नहीं
भारत के उपनिषदों में प्रश्न करने से प्रारम्भ हुई है ज्ञान की परम्परा और बनी है भारतीय संस्कृति। लेकिन वर्तमान में उसके सामने चुनौतियाँ कम नहीं हैं। सबसे बड़ा संकट है प्रश्न करने का अभ्यास
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- अभिनव 'अभिन्न'
- December 17, 2022
चीज़ नहीं, अज़ीज़ होती हैं बेटियाँ
सहालग के मौसम में तमाम लोगों के घरों में खुशियाँ आती हैं। बरसों से चली आ रही परंपराओं को निभाया जाता है। लेकिन अब नया दौर है। हर परम्परा पर सवाल उठाए जाते हैं। खुद
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- अभिनव 'अभिन्न'
- November 10, 2022
आसान कहने के लिए आसान होना पड़ता है : मदन मोहन ‘दानिश’
समकालीन उर्दू शायरी का एक महत्वपूर्ण नाम हैं मदन मोहन ‘दानिश’। ग्वालियर में आकाशवाणी के जिम्मेदार अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए दानिश साहब करीब तीन दशक से अधिक समय से शायरी का जाना-माना नाम है।
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- अभिनव 'अभिन्न'
- May 29, 2022
चौथा खंभा : संपादकीय ‘शीर्षासन’
पत्रकारिता दिवस पर हर साल ऐसे पत्रकारों और संपादकों को याद किया जाता है जो नज़ीर छोड़ गए हैं। संकल्प लिए जाते हैं, लेकिन इस पेशे में आ रही गिरावट का मूल्यांकन नहीं किया जाता। देश
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- अभिनव 'अभिन्न'
- August 8, 2021
… सुमिरो पवन कुमार
वो साल था 2013, उन दिनों मैं बतौर स्ट्रिंगर अमर उजाला चंदौसी में कार्यरत था। चंदौसी वही जगह है जहां से हिंदी के महान ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार ने अपनी शिक्षा पूरी की है।उसी शहर में
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- अभिनव 'अभिन्न'
- September 9, 2020
दिलों का अज़ीज़, लहजे का लज़ीज़ और वक़्त का जदीद शायर : राहुल अवस्थी
एक दरख़्त था – ऊंचा-पूरा, हरा-भरा, ख़ूब छतनार, बहुत विस्तार लिए। थके-मांदे मजदूर, मुसाफ़िर आते-जाते उसके नीचे छांव पाते, तो सुस्ताने बैठ जाते। समय का सूरज चढ़ता जा रहा था और दरख़्त का व्याप बढ़ता
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- अभिनव 'अभिन्न'
- August 15, 2020
ये आज़ादी…कोरोना के साथ भी, कोरोना के बाद भी
आज देश के नागरिक अपनी स्वतंत्रता की 73वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इतने सालों में यह पहला मौका है जब आज़ादी के इस पर्व को इतनी पाबंदियों के बीच मनाया जा रहा है। ये आज़ादी
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- अभिनव 'अभिन्न'
- August 5, 2020
ये वनवास बहुत लंबा था
लोकाभिरामं रनरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥अर्थ : मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर तथा रणक्रीडामें धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणाकी मूर्ति और करुणाके भण्डार रुपी श्रीराम की शरण में हूं। द्वार पै बन के
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- अभिनव 'अभिन्न'
- August 3, 2020
रक्षाबंधन : दर्पण में परंपराओं के प्रतिबिंब दिखाता पर्व
भारतीय परंपराओं में पर्वों का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक पर्व के पीछे कोई न कोई उद्देश्य, कोई कारण है। हमारी पर्व परंपरा मुख्य रूप से प्रकृति आधारित है। सनातन धर्म का प्रत्येक पर्व किसी न
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- अभिनव 'अभिन्न'
- March 31, 2020
कोरोना : महामारी पर तय हो विश्व बिरादरी की जिम्मेदारी
चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस कोविड-19 ने आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा यूरोप को प्रभावित किया है। इसमें भी इटली की अर्थव्यवस्था इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। ऐसे में अब जरूरत है कि