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- अभिनव 'अभिन्न'
- August 28, 2019
कश, कशिश और कश्मकश का शायर : रघुपति सहाय ‘फ़िराक’
ये माना ज़िंदगी है चार दिन कीबहुत होते हैं लेकिन चार दिन भी इस शेर में क्या नहीं है, तजुर्बा, हौसला, ताकीद, तंज, सब कुछ। और ये सब कुछ जिसके शेरों में सिमटा हो, उस